परम शिवभक्त दशानन रावण
10. रावण को लेकर आज भले चाहे जो माना जा रहा हो लेकिन वह बहुत बड़ा और अच्छा राजा माना जाता था, रावण की लंका में उसके राज्यवाले बहुत ज्यादा खुश रहते थे। आपको ज्ञात तो इसी कारण भगवान राम ने लक्ष्मण को भेजा था उसके पास राजनीति के टिप्स लेने को। यही नहीं उसकी सोने की लंका में किसी को कोई भी कष्ट नहीं था। रावण की प्रजा उससे खुश और संतुष्ट थी।9. यही नहीं रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने भी रावण को भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त और उनके अच्छे गुणों के बारे में काफी लिखा है।
8. रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ बहु-विद्याओं का जानकार था।
7. देश के कम ही लोग हैं जो यह जानते हैं कि मध्यप्रदेश के मंदसौर सहित देश के कई कोनों में रावण पूजा उसकी अच्छाईयों के कारण किया जाता है।
6. रावण को मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसने युद्ध के दौरान राम को बहुत बार छकाया था।
5. रावण बहुत बड़ा पंडित था और इसी कारण भगवान राम ने उससे विजय यज्ञ करवाया था। रावण ने शिवतांडव स्त्रोत की रचना की, जो आज भी शिव अराधना का सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार रावण को कई भाषाओं का ज्ञान था।
4. रावण को लोग बहुत बढ़िया कवि कहते थे, उसने कई रचनाएं भी लिखी हैं। रावण ने तांडव स्तोत्र, अंक प्रकाश, इंद्रजाल, कुमारतंत्र, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, ऋग्वेद भाष्य, रावणीयम, नाड़ी परीक्षा आदि पुस्तकों की रचना की थी।
3. रावण को शिव का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। यह बात किसी और ने नहीं बल्कि खुद भगवान शिव ने कही थी कि रावण बहुत बड़ा शिवभक्त है, उसकी भक्ति पर भगवान राम को भी शक नहीं था।
2. बहन सूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए रावण ने सीताहरण किया था। उसके पीछे रावण का तर्क था कि वह भाई का धर्म निभा रहा है। उसने वो ही किया जो एक भाई को करना चाहिए। लेकिन उसका तरीका गलत था।
1. रावण ने सीता का अपहरण जरूर किया था लेकिन उसने कभी भी अपने पौरूष का गलत फायदा नहीं उठाया, उन्होंने दो साल तक सीता को बंदी बनाये रखा लेकिन कभी भी सीता को हाथ नहीं लगाया। रावण ने सीता के सामने उन्हें पत्नी बनाने के लिए हमेशा याचना ही की।
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